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एक पल की मुलाकात ने 8 साल बाद रच दिया दर्द और सच्चे प्यार का इतिहास, प्रेमी हैं तो पढ़ लें


एक पल की मुलाकात ने 8 साल बाद रच दिया दर्द और सच्चे प्यार का इतिहास, प्रेमी हैं तो पढ़ लें



नमस्कार दोस्तों, आज मैं आपके लिए एक और प्रेम कहानी लेकर आया हूँ जिसमें दर्द और प्रेम कूट -कूट कर भरा हुआ है। दोस्तों यह बात सन 2002 की है जब मैं कानपुर में पढ़ता था। आपको बता दें यह कहानी सत्य घटना पर आधारित है और इसका कापीराइट लेखक के पास है। यह कहानी है मेरे उस दोस्त की जिसे मैं अपनी जान से ज्यादा चाहता हूँ। उसके प्रेम और संघर्ष की कहानी है। मुझे आज भी याद है वह सोमवार का दिन था और मैं अपने घर से कालेज कानपुर जा रहा था। तभी रास्ते में मेरी मुलाक़ात मेरे मित्र आकाश श्रीवास्तव से हो गई जो जिला उन्नाव के ग्राम माथर में अपनी भाई के साले के तिलक में जा रहा था। जब वह मुझे मिला तो बहुत ही खुसी हुई और रास्ते में समय काटने के लिए प्रिय मित्र भी मिल गया। हम दोनों लोगों ने रोडवेज बस पकड़ी और चल दिए। हम लोग रास्ते भर बातें करते रहे, लेकिन जब माथर आने वाला था, तब उसने मुझसे भी तिलक समारोह में चलने की जिद पकड़ ली।
Copyright Holder: Taza View
मैं उसकी जिद के आगे हार गया और हम दोनों माथर पहुँच गए। बहुत अच्छा तिलक का प्रोग्राम था। चारों तरफ रोशनी ही रोशनी जगमगा रही थी। इसी बींच आकाश की नजर एक दूसरी रोशनी पर पड़ गई। वह बहुत ही ख़ूबसूरत 16 साल की लड़की थी। आकाश उसे देखते ही उसका दीवाना हो गया। अब आकाश तिलक के प्रोग्राम पर कम उस लड़की पर नजर ज्यादा रख रहा था। वह लड़की भी बहुत ही अच्छी थी। हम लोगों ने जब भी किसी चीज को उससे मंगाया तो उसने तुरंत उसे हाजिर किया। इससे लग रहा था कि इधर अगर आग लगी थी तो चिंगारियां उधर से भी निकल रही थीं। मैंने तो किसी तरह रात काटी और सुबह उसी लड़की से चाय और पकौड़ियों का नाश्ता किया। मैं आपको बता दें कि उस लड़की की सबसे अच्छी एक अदा बहुत प्यारी लगी, वो अक्सर अपने होठों से अपने माथे पर आये वालो को उड़ा देती थी।
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नाश्ता करने के बाद मैंनें बस पकड़ी और कानपुर आ गया। लगभग एक महीने बाद आकाश से मेरी मुलाकात हुई तो उसने बताया कि मैं भी उसी दिन घर चला आया था, किन्तु उस लड़की का नाम मालूम हो गया। मैंने पूंछा तो उसने उस लड़की का नाम प्रियंका बताया और यह भी बताया कि वो कहीं कानपुर की ही रहने वाली है। उस समय मोबाइल का ज्यादा चलन नहीं था। हम लोगों के पास भी उस मोबाइल नहीं था। इस लिए मोबाइल नंबर लेने का कही से सबाल ही नहीं पैदा होता। इसके बाद हम लोग तो अक्सर मिलते रहते और बातें करते। लेकिन कभी -कभी प्रियंका की वो बाल उड़ाने वाली स्टाइल हम लोग जरूर याद कर लिया करते। आकाश उसे टेढ़े होठ वाली लड़की बोलता था। धीरे -धीरे मेरी तो शादी हो गई और आकाश को गाँव के एक व्यक्ति को गोली मारने के जुर्म में जेल जाना पड़ा। डेढ़ साल बाद जब आकाश को सात साल की सजा हो गई किन्तु हाई कोर्ट से अपील करने पर वह जेल से छूट गया। इसके बाद आकाश ने गाँव जाने की जगह हरदोई शहर में ही अपना आशियाना बना लिया। मेरी भी बैंक में नौकरी लग गई थी।
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जिसके कारण आकाश से बहुत कम मुलाक़ात हो पाती थी। मगर जब भी मैं घर आता तो उससे मिलने हरदोई जाता था। इसके बाद आकाश ने हरदोई में ही अपना डीजे का बिजनेस शुरू कर दिया। और आराम से कमाने खाने लगा। अब तक आकाश ,प्रियंका को पूरी तरह से भूल चुका था। इसी बींच किसी तरह आकाश की भाभी द्वारा प्रिया (आकाश प्रियंका को प्यार से प्रिया ही कहता था ) का नंबर मिल गया। जनवरी 2010 में मिले प्रिया के उस नंबर ने एक बार पुनः आग लगा दी। दोनों घंटों बात करते और साथ में जीने मरने की कसमें खाने लगे। मैं तो विश्वाश नहीं कर पा रहा था कि 8 साल पुरानी एक मामूली सी पल भर की जान पहचान। इतनी जल्दी कैसे यहाँ तक कुछ ही दिनों में पहुँच गई। खैर यहीं से आकाश के दुशमनों की संख्या बढ़ने लगी। उन दोनों का प्यार जितना करीब आता लोग उतने ही ज्यादा दुश्मन बनते जाते। दोनों के फोन करने पर पाबंदियां लगा दीं गईं। एक दिन जब मैं आकाश की दूकान पर गया तो वह अपनी हालत बताते ही उसकी ऑंखें छलकने लगीं। मैं सोंच में पड़ गया कि इतना पत्थर दिल आदमी आज आँखों में आंसू लिए बैठा था और वो भी प्यार की खातिर। मैंने आकाश को साहस बंधाया कि चिंता न करो सच्चे प्रेमियों को कोई आज तक अलग नहीं कर पाया है। किन्तु उसके साथ जो हो रहा था वह वास्तव में असहनीय था।
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जिसमें दर्द के शिवा कुछ और नजर ही नहीं आ रहा था। आकाश के प्यार में सबसे बड़ी बाधा अपने ही लोग थें। जो नहीं चाहते थे कि ये शुकून की जिन्दगी जी सके। जब दोनों की बाते बंद हो गईं तो बिना जल के जैसी मछली तड़पती है उसी तरह ये यहाँ और वो वहां छटपटाने लगी। एक दिन आकाश ने मुझे बुलाया और कहा दोस्त अगर प्रिया मुझे नहीं मिली तो मैं जी नहीं पाऊँगा, मैं खुद को ख़त्म कर दूंगा। उस दिन मैं भी अपने आंसुओं को नहीं रोंक पाया, मैंने कहा पगला कैसी बात करता है। प्रिया तेरी है और तेरी ही रहेगी बस तू थोड़ा धैर्य बनाए रख मेरे भाई। प्रिया के पिता को कई तरह से समझाया गया कि वह एक मुलजिम है और उसे सजा भी हो चुकी है। लेकिन प्यार तो प्यार ही होता है। प्रिया के पापा उसे लाख समझते किन्तु वह किसी भी बात को मानने को तैयार नहीं थी। जून 2010 तक दोनों प्रेमियों ने खून के आंसू रो रो कर दिन काटे और जुलाई में आखिर शादी करने का फैसला कर लिया। प्रिया के पापा ने कुछ शर्तें भी रखीं किन्तु आकाश सब कुछ छोड़ कर सिर्फ प्रिया को पाना चाहता था। आकाश और प्रिया के दुशमनों की लाख कोशिश के बाद जुलाई 2010 में आकाश और प्रिया की शादी हो गई। हालाँकि मैं अपने दोस्त की शादी में नहीं जा पाया था और मुझे इसके लिए प्रिया भाभी और आकाश से माफी भी मंगनी पड़ी थी। आज आकाश और प्रिया के दो बच्चे हैं और आराम से रह रहे हैं। मेरी अब भी आकाश से कभी -कभी मुलाक़ात हो जाती है तो वो अपने उन दिनों को याद कर आज भी आँखें नाम कर लेता है। यह कहानी हमारे दोस्तों आकाश श्रीवास्तव और उनकी धर्म पत्नी प्रियंका श्रीवास्तव की सच्ची प्रेम कहानी पर आधारित है।
दोस्तों मेरे प्रिय मित्र आकाश की प्रेम कहानी आपको कैसी लगी हमें कमेन्ट द्वारा जरूर बताएं और इसी तरह की और भी सच्ची घटनाओं के लिए इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर, लाइक और हमें फालो करें।
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